आज से दस साल पहले, पत्रकार प्रीति सोमपुरा ने कभी नहीं सोचा था कि वह लंबी दौड़ में हिस्सा लेंगी। उनका शारीरिक गतिविधियों से जुड़ाव सिर्फ छोटे रनों तक सीमित था। लेकिन 2014 में उन्होंने 7 किलोमीटर से दौड़ना शुरू किया, और आज एक दशक बाद, उन्होंने दुनिया की सबसे कठिन अल्ट्रा मैराथन — कॉमरेड्स मैराथन — को पूरा कर लिया।
इस वर्ष प्रीति ने कॉमरेड्स मैराथन के 98वें संस्करण को 10 घंटे 49 मिनट और 36 सेकंड में पूरा किया और रेस कैटेगरी में कांस्य पदक हासिल किया। यह दौड़ न केवल दुनिया की सबसे पुरानी अल्ट्रा मैराथन है, बल्कि बेहद कठिन भी मानी जाती है। इस वर्ष की “डाउन रन” दौड़ पीटरमैरिट्जबर्ग से डर्बन तक लगभग 90 किलोमीटर तक फैली थी, जो दक्षिण अफ्रीका के क्वाज़ुलु-नेटाल प्रांत में होती है।
“कॉमरेड्स सिर्फ एक दौड़ नहीं है — यह जुनून और उद्देश्य की एक तीर्थयात्रा है,” प्रीति ने कहा। “दूरी तो कठिन है ही, लेकिन असली परीक्षा इसके उतार-चढ़ाव वाले मार्ग की होती है।”
प्रीति ने इस पल के लिए वर्षों से तैयारी की थी। उन्होंने पहली बार 2020 में दौड़ने की योजना बनाई थी, लेकिन कोविड महामारी के कारण वह रेस रद्द हो गई। 2024 में फिर से जब वह दौड़ने की सोच रही थीं, तो कॉमरेड्स मैराथन की तारीख लोकसभा चुनावों से टकरा गई। उन्होंने उस समय 65 किलोमीटर की “कास अल्ट्रा” रेस की प्रैक्टिस दौड़ पूरी की, लेकिन कॉमरेड्स नहीं दौड़ सकीं। अंततः उन्होंने 2025 में दौड़ने का निर्णय लिया।
इस रेस के लिए उन्होंने एक साल पहले से तैयारी शुरू की। अंतिम छह महीनों में वह हाई-प्रोटीन डाइट पर रहीं — चावल, गेहूं, मक्का और दूध पूरी तरह बंद कर दिए। उन्होंने हर दूसरे रविवार लंबी दूरी की दौड़ की, और कठिन चढ़ाई की ट्रेनिंग के लिए अरे कॉलोनी, मालाबार हिल, पारसिक हिल, लोनावला, सतारा, एडिनबर्ग और लंदन में अभ्यास किया। सिर्फ अंतिम चार महीनों में उन्होंने 1128 किलोमीटर की दौड़ पूरी की — वह भी 35 डिग्री की गर्मी में, जो अपने आप में एक बड़ी चुनौती थी।
डर्बन में जब उन्होंने फिनिश लाइन पार की, तो दर्शकों के नारों “कम ऑन इंडिया!” और “नमस्ते इंडिया!” ने उनका स्वागत किया। प्रीति ने कहा, “यह गर्व का क्षण था — 425 भारतीय धावकों के साथ दौड़ना, हर एक की आत्मा में देश की भावना झलक रही थी। दौड़ खत्म हो चुकी है, लेकिन दक्षिण अफ्रीका की ऊर्जा अब भी मेरे अंदर गूंज रही है।”
उन्होंने अपने क दीपक लोंधे (Striders Miles) का विशेष धन्यवाद किया, जिनकी ट्रेनिंग और विश्वास ने इस लक्ष्य को संभव बनाया। साथ ही उन्होंने अपने परिवार और शुभचिंतकों का भी आभार प्रकट किया।
इस वर्ष की दौड़ भावनात्मक रूप से और भी खास थी। फिनिशर्स में महाराष्ट्र पुलिस के सात अधिकारी, 26/11 हमले में घायल हुए एक नेवी कमांडो, एक विकलांग धावक जिनका बायां हाथ नहीं है, और जलगांव की 65 वर्षीय विद्या ताई शामिल थीं। “इन सभी की साहसिक कहानियों ने मुझे गहराई से प्रेरित किया। यह सिर्फ एक मैराथन नहीं थी — यह एक आंदोलन था।”
प्रीति का यह पहला अनुभव नहीं था। उन्होंने अब तक 25 हाफ मैराथन, 15 फुल मैराथन (जिनमें दो वर्ल्ड मेजर — बर्लिन और लंदन मैराथन शामिल हैं), दो बार 65 किमी की दौड़, और चार बार 50 किमी की अल्ट्रा मैराथन पूरी की है। हाल ही में, अप्रैल 2025 में उन्होंने लंदन मैराथन में भाग लिया। प्रीति दो बार की गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड होल्डर भी हैं।
1921 में स्थापित कॉमरेड्स मैराथन को “अल्टीमेट ह्यूमन रेस” कहा जाता है। हर साल इसमें लगभग 20,000 धावक हिस्सा लेते हैं। 2025 की दौड़ में 20,972 प्रतिभागियों में से रिकॉर्ड 18,194 लोगों ने इसे पूरा किया — जो 86.75% की फिनिशिंग दर को दर्शाता है।
अब जब प्रीति “आमची मुंबई” लौट आई हैं, वह कहती हैं: “मैं सिर्फ एक पदक लेकर नहीं लौटी — बल्कि ढेरों यादें, नई दोस्तियाँ और कहानियाँ साथ लेकर आई हूं जो जीवन भर मेरे साथ रहेंगी।”