📜 त्रिकालदर्शी गुरुदेव डॉ. श्री प्रेम साईं महाराज के सान्निध्य में मां कामाख्या धाम में गूंजा “जय मातंगी” — पहली बार किसी संत के आगमन से मंदिर परिसर श्रद्धालुओं से उमड़ा


गुवाहाटी (असम)। मां मातंगी दिव्य धाम (छत्तीसगढ़) के त्रिकालदर्शी, चमत्कारी संत एवं पीठाधीश्वर डॉ. श्री प्रेम साईं महाराज जी की भारत यात्रा के अंतर्गत, इस वर्ष गुरु पूर्णिमा के पावन अवसर पर 10 जुलाई से 12 जुलाई 2025 तक मां कामाख्या तंत्र शक्ति पीठ, नीलांचल पर्वत, असम में तीन दिवसीय गुरु पूर्णिमा महोत्सव एवं विशेष “दस महाविद्या यज्ञ अनुष्ठान” का आयोजन भव्य रूप से सम्पन्न हुआ।


यह आयोजन इसलिए ऐतिहासिक बन गया क्योंकि यह पहली बार हुआ कि किसी संत के आगमन से मां कामाख्या मंदिर परिसर श्रद्धालुओं से पूरी तरह भर गया।

पूरा परिसर अंबुबाची मेले जैसी श्रद्धालु ऊर्जा से लबरेज़ नजर आया। हर दिशा से गूंजते रहे —

“जय मां मातंगी”, “जय गुरुदेव”, और “कामाख्या तंत्र शक्ति की जय” जैसे दिव्य उद्घोष।


इस पावन अवसर पर देश-विदेश से हजारों श्रद्धालु पहुंचे, जो डॉ. श्री प्रेम साईं महाराज जी के दिव्य दर्शन के लिए कामाख्या धाम पहुंचे।

गुरुदेव अपने साथ गुरुपरंपरा से संरक्षित हजारों वर्षों पुराने ताड़पत्रों पर लिखित दुर्लभ असमीय तंत्र ग्रंथों को लेकर मां कामाख्या के दरबार में पहुंचे।

भक्तों ने इन प्राचीन ग्रंथों की छाया में मां के दर्शन किए तथा मंदिर की परिक्रमा की —

यह अपने आप में एक अनोखा और अद्वितीय तांत्रिक क्षण था, जिसने साधकों को गहराई से झकझोर दिया।


इस आयोजन की विशेषता रही —

रात्रिकालीन “दश महाविद्या यज्ञ”, जिसमें मां मातंगी सहित दसों महाविद्याओं की विधिपूर्वक आहुतियां दी गईं।

संपूर्ण यज्ञ अनुष्ठान मंत्रोच्चारण, वैदिक विधियों एवं तांत्रिक विधान के अनुरूप सम्पन्न हुआ।

धूप, दीप, मंत्र, अग्नि और साधना की ऊर्जा ने माहौल को दैवीय कंपन से भर दिया।


इस तीन दिवसीय दिव्य अनुष्ठान में सैकड़ों श्रद्धालुओं ने गुरुदेव से आध्यात्मिक गुरु दीक्षा प्राप्त की।

यह दीक्षा केवल परंपरा नहीं, बल्कि चेतना के मार्ग पर प्रथम महत्त्वपूर्ण पग था —

जहां शिष्य ने अपने जीवन को गुरु चरणों में समर्पित किया।


गुरु पूर्णिमा के इस ऐतिहासिक अवसर पर मातंगी धाम सरकार द्वारा जो अलौकिक अनुभूति प्रदान की गई,

वह न केवल कामाख्या परिसर में उपस्थित भक्तों के लिए अविस्मरणीय रही,

बल्कि यह युगों तक तंत्र साधना, गुरु परंपरा और देवी श्रद्धा की एक प्रेरणादायक जीवंत मिसाल के रूप में याद की जाएगी।



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📍 स्थान: मां कामाख्या शक्तिपीठ, नीलांचल पर्वत, गुवाहाटी, असम

🗓️ तिथि: 10 जुलाई से 12 जुलाई 2025

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